Thursday, April 30, 2009

"अहसास हुआ है हमको"


अब जो बिछड़े हैं तो ये अहसास हुआ है हमको,
दर्द क्या होता है तन्हाई कैसी होती है,


चारो तरफ गुंजती रुसवाई किसे कहते हैं,
अब जो बिछड़े हैं तो ये अहसास हुआ है हमको,


कोई लम्हा हो तेरी याद में खो जाते हैं,
अब तो खुद को भी याद नहीं कर पाते हैं,

रात हो दिन हो तेरे प्यार में अश्क बहाते हैं,
दर्द क्या होता है तन्हाई किसे कहते हैं,

अब जो बिछड़े हैं तो ये अहसास हुआ है हमको,
यूं तो दुनिया की हर चीज हसीन होती है,


प्यार से बढ़कर मगर कुछ नहीं होती है,
रास्ता रोक के हर किसी से यही कहते हैं,


अब जो बिछड़े हैं तो ये अहसास हुआ है हमको,
दर्द क्या होता है तन्हाई कैसी होती है।

Wednesday, April 29, 2009

"दिल में क्यूं है"


ये दिल तुझे इतनी शिद्दत से चाहता क्यूं है,
हर सांस के साथ तेरा ही नाम आता क्यूं है,

तु कितना भी मुझसे सख्त ताल्लुक रख ले,
जिक्र फिर भी तेरा मेरी जबान पे आता क्यूं है,

यूं तो हैं कई फासलें तेरे मेरे बीच,
लगता फिर भी तु मुझको मेरी जान सा क्यूं है,

तेरी यादों में तड़पने की हो चुकी है आदत मेरी,
तेरे दूर होने का फिर भी अहसास मुझको रुलाता क्यूं है,

ये जानता हूं कि तु बहुत दूर है मुझसे,
मगर फिर भी एक आस तुझे पाने की इस दिल में क्यूं है।

Tuesday, April 28, 2009

"जरा इतना बता दो मुझको"


चाहों जो मेरी खताओं की सजा दो मुझको,
पर खता क्या है जरा इतना बता दो मुझको,

मैंने चाहा था तुम्हें अपनी जान से बढ़कर,
इन वफाओं के सिले ऐसी वफा दो मुझको,


भुलना तुझको मेरे लिए ना मुमकिन है,
जो हो सके तो सनम तुम ही भुला दो मुझको,

अब अगर सोच ही लिया है दूर होना है मुझसे,
मैं मर ही जाऊं कोई ऐसी सजा दो मुझको।

Monday, April 27, 2009

"मैं और मेरा दिल"


तनहा बैठे हैं दोनों मैं और मेरा दिल,

तेरी याद में रहते हैं दोनों मैं और मेरा दिल,

शीशे का वजूद और हर तरफ हाथ में पत्थर,

सहमें बैठे हैं दोनों मैं और मेरा दिल,

खामोशी का सबब जो कोई पूछ ले,

तेरा नाम ही लेते हैं दोनों मैं और मेरा दिल,

Saturday, April 25, 2009

"फिर भी ये मोहब्बत क्यूं है"


तेरी तस्वीर मेरी आंखों में बसी क्यूं है,
जहां देखों बस उधर तु ही क्यूं है,


तेरी यदों से वाबस्ता मेरी तकद्दीर है,
लेकिन तुझे ना पा कर मेरी तकद्दीर रूठी क्यूं है,

मुझ को है खबर आसान नहीं तुझे हासिल करना,
फिर भी ये इंतजार ये बेकरारी क्यूं है,


बरसों गुजर गए मेरे तन्हाइयों में लेकिन,
मेरी बाहों को आज भी तेरा इंतजार क्यूं है,


तेरी चाहत की कसम खून के आंसू रोया हूं,
अब नहीं है कुछ बाकी फिर ये जान बाकी क्यूं है,


खत्म हुआ मेरा ये अफसाना एक बात बताऊं,
अंजाम था मालूम मुझको फिर भी ये मोहब्बत क्यूं है।

Thursday, April 23, 2009

"एक तू तेरी आवाज याद आएगी"


एक तु तेरी आवाज याद आएगी,
तेरी कही हुई हर बात याद आएगी,


दिन ढल जाएगा रात याद आएगी,
हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी,

कभी हंसती कभी रोती कभी मुस्कुराती,
ये जिन्दगी तेरे बिन यूं ही कट जाएगी,

पर कुछ कमी इसमें भी तो रह जाएगी,
दिल को तड़पाएगी कभी तरसाएगी,


हर लम्हा तेरी याद आ जाएगी,
एक तू तेरी आवाज याद आएगी...।

Wednesday, April 22, 2009

"मैं वो हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे..."


मैं वो हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे,
दिन मैं सौ बार नाम मेरा लिया करते थे,


आज क्या बात हुई क्यूं मुझसे खफा बैठे हो,
क्या किसी और के दिल को अपना बना बैठे हो,


फासले पहले तो इतने ना हुआ करते थे,
मैं वो हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे,


माना के ये गम है कोई सौगात नहीं,
तुम हमें अपना कहो ऐसे भी हालात नहीं,


मैं वो हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे,
जी में आता है कि आज तुम्हें तड़पा दूं,


दर्द जो तुमने दिया वो सब तुमको लौटा दूं,
अगर भूल गए हो तो ये बतला दूं,


तुम मुझे हासिल-ए-अरमान कहा करते थे,
मैं वो हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे।

Tuesday, April 21, 2009

"कभी दिल में बसा दिया..."


कभी नजर से गिरा दिया, कभी दिल में बसा दिया,
मोहब्बत में तुमने हमें कभी हंसा तो कभी रूला दिया,


कभी प्यार बेशुमार किया कभी दर्द बेइंतिहा दिया,
अपनी दिवानगी में तुमने हमें किस मुकाम पर पहुंचा दिया,

दिल को खिलौना समझ कर तुमने, हमें हर खेल में हरा दिया,
कभी उम्मीदों को बढ़ा दिया, कभी मायूसियों ने जीना दुश्वार किया,

फिर भी हमदम हमने तुम्हें, प्यार की हद से भी ज्यादा प्यार किया।

Thursday, April 16, 2009

"जिंदगी गुजर रही है खुशी की तलाश में"


जिंदगी गुजर रही है खुशी की तलाश में,
रोते हुए दिल के लिए हंसी की तलाश में,

वक्त ने इस दिल को कई जख्म दिये,
इन जख्मों के लिए मरहम की तलाश में,

खामोशियां इस दिल का हिस्सा बन गई,
दो पल के लिए मुस्कुराहट की तलाश में,


अपनी मंजिल तक भूल चुका हूं,
उस के प्यार की तलाश में,

चाहतों की दुनिया में गम के सिवा कुछ नहीं,
पल-पल गुजर रहा हूं खुशी की तलाश में,

मेरे दिल इतना बता मुझे,
क्यूं तड़प रहा है तु उसी की तलाश में।

Wednesday, April 15, 2009

"तेरे प्यार का दीप..."


जल रहा है तेरे प्यार का दीप मेरे दिल में,
परवाह नहीं चाहे आज शमा जले ना जले,

मिल रही है रोशनी तेरे प्यार की रंगीनियों में,
परवाह नहीं चाहे आज उजाला रहे ना रहे,


हमें ढल जाने दो आज अपने अंग-अंग में,
डूब जाने दो आज हमें अपनी प्यासी निगाहों में,

मिलने दो आज खुशबू हम दोनों के तन-बदन को,
सुन लेने दो आज सारी दिल की धड़कन को जो धड़कती है तेरे लिए,

कैद करने दो आज तड़पती तन्हाईयों को अपने दिल में,
छप जाने दो आज अपनी तस्वीर को मेरी पलकों में,

तुम ही कह दो छुपाऊं कैसे ओ सनम आज तड़प में इस दिल की,
मेरे दिल की हर धड़कन में जब नाम तेरा ही रहता है।

Tuesday, April 14, 2009

"उसे जब याद आयेगा..."


उसे जब याद आयेगा वो पहली बार का मिलना,
तो पल-पल याद रखेगा ये सब कुछ भूल जाएगा,


उसे जब याद आयेगा वो मौसम का हर लम्हा,
तो खुद ही रो पड़ेगा या खुद ही मुस्कुराएगा,


उसे जब याद आयेगा सावन लौट आया है,
बुला भेजेगा वो मुझको या खुद ही लौट आयेगा,


उसे जब याद आयेगा मैं कैसे मुस्कुराता था,
तो आंखे मुस्कुराएंगी या दामन भीग जायेगा,


उसे जब याद आयेगा मैं कैसे नाम लेता था,
तो मेरा नाम लिखेगा या अपना भी मिटाएगा।

Monday, April 13, 2009

"क्यूं प्यार में ऐसा होता है?"


कि जिसे दिल चाहे उसे पर मर जाने को दिल चाहता है।
कि उस के आंसू पी जाने को दिल चाहता है।
कि उस के हर गम को मिटा देने को दिल चाहता है।
कि उसको हर पल मुस्कुराता हुआ देखने को दिल चाहता है।

कि उस पर जिंदगी लुटा देने को दिल चाहता है।
कि उसका हाथ पकड़कर उड़ जाने को दिल चाहता है।
कि उसकी आंखों में खो जाने को दिल चाहता है।
कि उसकी प्यारी-प्यारी बातों को हर पल सुनने को दिल चाहता है।

कि उसको हर खुशी देने को दिल चाहता है।
कि उसको हर आफत से महफूज रखने को दिल चाहता है।
कि उसके रास्ते में गिरे हुए हर कांटे को उठा देने को दिल चाहता है।
कि उसको दिल में छुपा लेने को दिल चाहता है।

कि उसको हर पल सपनो में रखने को दिल चाहता है।
कि उसकी परछाई को ही देख कर दिल खुश हो जाता है।
कि उसकी एक नजर से ही दिल को सुकुन हो जाता है।
कि उसका चेहरा चारो तरफ छा जाता है।


कि उसकी बात-बात पर प्यार आ जाता है।
कि उसकी बाहों में दिल मर जाना चाहता है।
कि उसके हाथों की लकीरों को दिल बदल देना चाहता है।
कि उसके नसीब में लिखा हुआ हर गम दिल अपने नाम कर लेना चाहता है।

कि उसकी हर ख्वाहिश को दिल पूरा कर देना चाहता है।
कि सारे जहान की खुशियां दिल उसके कदमों में बिछा देना चाहता है।


क्यूं प्यार में ऐसा होता है?
कि उस के साथ जीना तो क्या उसके साथ मर जाने को भी दिल चाहता है।
क्यूं प्यार में ऐसा होता है?

Saturday, April 11, 2009

"अब तुम्हारी वफ़ा देखनी है"


हाय जान कुछ दिनों से तुम्हारी याद इतनी बढ़ती जा रही है कि मैं बयां नहीं कर सकता। तुम्हारी आवाज सुनने को भी मेरे कान तरस रहे हैं। बहुत मुश्किल से अपने आप को सम्भाल रखा है। इसी उम्मीद में की एक ना एक दिन तुमसे जरूर मुलाकात होगी और तुम्हारा प्यारा से चेहरा मेरे सामने होगा। उस चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर बस तुमको तकता रहूंगा। जब तक ये आंखे ना थक जाएं, जब तक ये दिल ना मान जाए कि तुम मेरे पास हो। जब तक ये सांसे चलते-चलते रुक ना जाएं। फिर दिल में एक डर भी लगता है कि कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगी, कहीं तुम वक्त के साथ समझौता तो नहीं कर लोगी। क्योंकि जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन मेरी ये सांसे रूक जाएंगी दिल धकड़ना बंद कर देगा। क्योंकि तुमसे दूर रहकर भी मैं जिंदा इसीलिए हूं की तुम्हारे प्यार पर मुझे अटूट विश्वास है मुझे पता है कि तुम जिंदगी छोड़ सकती हो लेकिन मुझसे प्यार करना नहीं छोड़ सकती हो। मैं समझ सकता हूं कि मुझसे दूर रहकर तुम पर भी क्या बीतती होगी। किस तरह से तुम वहां अपना समय काटती होगी। किस तरह तुम उस नजरबंद की कैद में सांस लेती होगी।

मुझे तो पहले से ही तुम्हारी फैमली पर विश्वास नहीं था। लेकिन तुम्हारी ही जिद थी कि नहीं ये हमारी फीलिंग का समझेंगे और हमारी शादी जरूर करागें। लेकिन मैंने फिर भी तुम्हारे इस फैसले का पूरा साथ दिया। क्योंकि कहीं ना कहीं मुझे भी तुम्हारे इस विश्वास पर विश्वास था कि शायद हमारे प्यार को ये लोग समझ जाएं। लेकिन शायद इनके सीने में दिल नहीं पत्थर है। जिससे जाकर सिर्फ सिर फोड़ा जा सकता है ये नहीं समझाया जा सकता कि प्यार क्या होता है। प्यार में तड़पना क्या होता है, कितनी तड़प होती है इस प्यार में। क्योंकि जिसने कभी प्यार किया ही नहीं उसे प्यार का अहसास कैसे कराया जा सकता है। वे कहते हैं कि हमें तुझ से ज्यादा अपनी बेटी की फिक्र है। पर मुझे ये समझ नहीं आता कि ये कैसी फिक्र है कि उन्हें तुम्हारे आंसू भी दिखाई नहीं देते। तुम्हारे दिल का दर्द महसूस नहीं होता। ये कैसी फिक्र है उन्हें। मैं नहीं मानता कि उन्हें तुम्हारी या हमारे प्यार की कोई फिक्र है। उनके लिए तो सिर्फ अपनी झूठी और खोखली सामाजिक प्रतिष्ठा ज्यादा मायने रखती है। उन्हें तुम्हारी फिक्र नहीं सिर्फ अपनी उस झुठी सामाजिक प्रतिष्ठा की फिक्र है।

पर जान मुझे उनसे कोई मतलब नहीं क्योंकि मैं जनता हूं की वे ऐसे ही हैं और ऐसे ही रहेंगे। मुझे सिर्फ तुमसे मतलब है। तुम क्या चाहती हो मुझे या फिर तुम भी अपने परिवार की उस झुठी सामाजिक प्रतिष्ठा के आगे झुक जाओगी। जैसे पहले एक बार झुक गई थी। तुम्हारा जैसा फैसला होगा मुझे वो मंजूर होगा। अब पता नहीं तुमसे कब बात होगी। मैं तुमको बहुत मिस करता हूं। और मैं जनता हूं कि तुम भी मुझे बहुत मिस करती होगी। सच जान जब तुम्हारी याद बर्दाश्त नहीं हुई तब ये सब कुछ लिखा। तुमको बहुत प्यार करता हूं। और जब तक इस शरीर में जान है तब तक तुमको प्यार करता रहूंगा। तुमसे वफा की है और इस वफा को अंत तक निभाऊंगा अब सिर्फ तुम्हारी वफा देखनी है। आई लव यू

Wednesday, April 8, 2009

"वो बात करके देखें"


हम एक दूसरे के नाम कर के देखें,

जो रह गई थी दिल में, जो तुम को थी बतानी,

फिर मिले ना मिले मौका, वो बात करके देखें,

ये बातों ही बातों में, वो बात भी हो जाए,

जिस बात में वो बात हो, वो बात करके देखें।

Tuesday, April 7, 2009

"तेरी चाहत में..."


तेरी चाहत में हद से गुजर जाऊंगा एक दिन,
प्यार होता है क्या ये दिखाऊंगा एक दिन,


तेरी संगदिली को सहते-सहते,
मैं अपनी जान से जाऊंगा एक दिन,

अपनी चाहते सारी तुझपे वार के,
प्यार करना तुझे भी सिखाऊंगा एक दिन,

जी ना पाएगी तु भी हो के जुदा मुझसे,
ऐसा प्यार तुझ से कर जाऊंगा एक दिन,

अंधेरो में ढूंढ़ती रह जाएगी मुझको,
ऐसी बेरूखी दिखलाऊंगा एक दिन,

खो कर मुझ को बहुत पछताएगी सनम तु,
वफा ऐसी तुझ से कर जाऊंगा एक दिन,


ऐसी दिवानगी से चाहूंगा तुझको,
भूल जाओगी तुम भी सारा जहान एक दिन,

जान तेरी भी लबों पर आ जाएगी,
बन के खाक जब मैं मिट्टी में मिल जाऊंगा एक दिन।

Monday, April 6, 2009

"मुझे खोने से डरती थी..."


मेरी आंखों पे मरता था,
मेरी बातों पे हंसता था,

ना जाने सक्श था कैसा,
मुझे खोने से डरता था,

मुझे जब भी वो मिलता था,
यही हर बार कहता था,

सुनो!!

अगर मैं भूल जाऊं तो?
अगर मैं रूठ जाऊं तो?

कभी वापिस ना आऊं तो?
भूला पाओगी ये सब कुछ?

यूं ही हंसती रहोगी क्या?
यूं ही सजती रहोगी क्या?


यही बातें हैं अब उसकी,
यही यादें हैं अब उसकी,

मुझे बस याद है इतना,
मुझे वो प्यार करती थी,

मुझे खोने से डरती थी।

Saturday, April 4, 2009

"मेरी जिंदगी है तु"


गम है या खुशी है तु,
मेरी जिंदगी है तु,

मुसीबतों के दौर में,
चैन की घड़ी है तु,


मेरी रात का चिराग,
मेरी नींद भी है तु,

मैं खिजा की शाम हूं,
रूत बहार की है तु,

मेरी सारी उम्र में,
एक ही कमी है तु,

मैं तो वो नहीं रहा,
हां! मगर वो ही है तु...।

कुछ इस तरह...

Thursday, April 2, 2009

"कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे"


कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे,


तु हर घड़ी हर वक्त मेरे साथ रहा है,
हां ये जिस्म कभी दूर कभी पास रहा है,


जो भी गम हैं ये तेरे उन्हें तु मेरा पता दे,
कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे,


मुझको तो तेरे चेहरे पे ये गम नहीं जचता,
जायज नहीं लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता,


सुन मेरी गुजारिश इसे चेहरे से हटा दे,
कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे...।

Wednesday, April 1, 2009

"तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी"


काश! सीरत तुम्हारी इतनी प्यारी ना होती,
काश! तुम से मुलाकात हमारी ना होती,


काश! तुम्हें सपनों में ही देख लेते,
आज मुलाकात को इतनी बे-करारी ना होती,


हमारा हर लम्हा चुरा लिया तुमने,
आंखों को एक चांद दिखा दिया तुमने,


हमें जिंदगी तो दी किसी और ने,
पर इतना प्यार देकर जीना सिखा दिया तुमने,

चिरागों को और तेज कर दो,
क्यूंकि रोशनी बहुत कम है,

तमाम उम्र इंतजार तेरा मैं कर लूंगा,
फिर भी ये गम रहेगा कि जिंदगी कम है,

हमारे जख्मों की वजह भी वो है,
हमारे जख्मों की दवा भी वो है,

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी,
तेरे बिना चिरागों में रोशनी ना रहेगी,

क्या कहें क्या गुजरेगी दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर जिंदगी ना रहेगी।