Saturday, April 4, 2009

"मेरी जिंदगी है तु"


गम है या खुशी है तु,
मेरी जिंदगी है तु,

मुसीबतों के दौर में,
चैन की घड़ी है तु,


मेरी रात का चिराग,
मेरी नींद भी है तु,

मैं खिजा की शाम हूं,
रूत बहार की है तु,

मेरी सारी उम्र में,
एक ही कमी है तु,

मैं तो वो नहीं रहा,
हां! मगर वो ही है तु...।

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है