Monday, April 13, 2009

"क्यूं प्यार में ऐसा होता है?"


कि जिसे दिल चाहे उसे पर मर जाने को दिल चाहता है।
कि उस के आंसू पी जाने को दिल चाहता है।
कि उस के हर गम को मिटा देने को दिल चाहता है।
कि उसको हर पल मुस्कुराता हुआ देखने को दिल चाहता है।

कि उस पर जिंदगी लुटा देने को दिल चाहता है।
कि उसका हाथ पकड़कर उड़ जाने को दिल चाहता है।
कि उसकी आंखों में खो जाने को दिल चाहता है।
कि उसकी प्यारी-प्यारी बातों को हर पल सुनने को दिल चाहता है।

कि उसको हर खुशी देने को दिल चाहता है।
कि उसको हर आफत से महफूज रखने को दिल चाहता है।
कि उसके रास्ते में गिरे हुए हर कांटे को उठा देने को दिल चाहता है।
कि उसको दिल में छुपा लेने को दिल चाहता है।

कि उसको हर पल सपनो में रखने को दिल चाहता है।
कि उसकी परछाई को ही देख कर दिल खुश हो जाता है।
कि उसकी एक नजर से ही दिल को सुकुन हो जाता है।
कि उसका चेहरा चारो तरफ छा जाता है।


कि उसकी बात-बात पर प्यार आ जाता है।
कि उसकी बाहों में दिल मर जाना चाहता है।
कि उसके हाथों की लकीरों को दिल बदल देना चाहता है।
कि उसके नसीब में लिखा हुआ हर गम दिल अपने नाम कर लेना चाहता है।

कि उसकी हर ख्वाहिश को दिल पूरा कर देना चाहता है।
कि सारे जहान की खुशियां दिल उसके कदमों में बिछा देना चाहता है।


क्यूं प्यार में ऐसा होता है?
कि उस के साथ जीना तो क्या उसके साथ मर जाने को भी दिल चाहता है।
क्यूं प्यार में ऐसा होता है?

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