मेरी आंखों पे मरता था,
मेरी बातों पे हंसता था,
ना जाने सक्श था कैसा,
मुझे खोने से डरता था,
मुझे जब भी वो मिलता था,
यही हर बार कहता था,
सुनो!!
अगर मैं भूल जाऊं तो?
अगर मैं रूठ जाऊं तो?
कभी वापिस ना आऊं तो?
भूला पाओगी ये सब कुछ?
यूं ही हंसती रहोगी क्या?
यूं ही सजती रहोगी क्या?
यही बातें हैं अब उसकी,
यही यादें हैं अब उसकी,
मुझे बस याद है इतना,
मुझे वो प्यार करती थी,
मेरी बातों पे हंसता था,
ना जाने सक्श था कैसा,
मुझे खोने से डरता था,
मुझे जब भी वो मिलता था,
यही हर बार कहता था,
सुनो!!
अगर मैं भूल जाऊं तो?
अगर मैं रूठ जाऊं तो?
कभी वापिस ना आऊं तो?
भूला पाओगी ये सब कुछ?
यूं ही हंसती रहोगी क्या?
यूं ही सजती रहोगी क्या?
यही बातें हैं अब उसकी,
यही यादें हैं अब उसकी,
मुझे बस याद है इतना,
मुझे वो प्यार करती थी,
मुझे खोने से डरती थी।
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