Tuesday, October 20, 2009

मोहब्बत का गम होता बहुत है

मोहब्बत का गम होता बहुत है,

के अब ये लफ्ज भी रूसवा बहुत है,

उदासी का सबब मैं क्या बताऊं,

गली-कूचो में सन्नाटा बहुत है,

ना मिलने की कसम खा के भी मैंने,

तुझे हर राह मैंने ढूंढा बहुत है,

ये आंखें क्या देखें किसी को,

इन आंखों ने तुझे देखा बहुत है,

ना जाने क्यूं बचा रखें हैं आंसू,

शायद मुझे रोना बहुत है,

तुझे मालूम तो होगा मेरे हमदम,

तुझे एक शख्स से चाहा बहुत है।

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