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Tuesday, February 24, 2009
"मिल गई हो जिसे मोहब्बत तुम्हारी"
बहुत खुबसुरत है ये साथ तुम्हारा,
बना दीजिए इसे किस्मत हमारी,
उसे और क्या चाहिए दुनिया में,
मिल गई हो जिसे मोहब्बत तुम्हारी।
1 comment:
गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
said...
jisko mohabbat mil jaye usko kisi or ki jarurat rahti hee nahi. narayan narayan
February 24, 2009 at 9:05 PM
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"विश्वास की एक डोरी है मोहब्बत"
"कुछ खास हो तुम"
"बस तेरे पास लौट आने को 'जी' चाहता है"
"तुमसे कोई रिश्ता बना तो सही"
"मिल गई हो जिसे मोहब्बत तुम्हारी"
"पत्थर की है दुनिया, जज्बात नहीं समझती"
"एक रात हुई बरसात बहुत"
"दूरियों का एहसास नहीं होता"
"फिर से रूठ जाने को दिल चाहता है"
"वो अलफाज कहां से लाऊं"
"चांद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे"
"हैप्पी वैलंटाइन डे"
"जज्बातों को मेरे कोई ढूंढ के लाओं जरा"
"कितनी जल्दी ये मुलाकात गुजर जाती है"
"सांसे आप की जान है हमारी"
"क्या कहूं तुझे?"
"प्यारा का अहसास हो तुम"
"क्योंकि प्यार किया नहीं जाता"
"ये ही इश्क है"
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कुछ इस तरह...
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई...
दो प्यार करने वालो को...
1 comment:
jisko mohabbat mil jaye usko kisi or ki jarurat rahti hee nahi. narayan narayan
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