Saturday, April 25, 2009

"फिर भी ये मोहब्बत क्यूं है"


तेरी तस्वीर मेरी आंखों में बसी क्यूं है,
जहां देखों बस उधर तु ही क्यूं है,


तेरी यदों से वाबस्ता मेरी तकद्दीर है,
लेकिन तुझे ना पा कर मेरी तकद्दीर रूठी क्यूं है,

मुझ को है खबर आसान नहीं तुझे हासिल करना,
फिर भी ये इंतजार ये बेकरारी क्यूं है,


बरसों गुजर गए मेरे तन्हाइयों में लेकिन,
मेरी बाहों को आज भी तेरा इंतजार क्यूं है,


तेरी चाहत की कसम खून के आंसू रोया हूं,
अब नहीं है कुछ बाकी फिर ये जान बाकी क्यूं है,


खत्म हुआ मेरा ये अफसाना एक बात बताऊं,
अंजाम था मालूम मुझको फिर भी ये मोहब्बत क्यूं है।