Wednesday, April 29, 2009

"दिल में क्यूं है"


ये दिल तुझे इतनी शिद्दत से चाहता क्यूं है,
हर सांस के साथ तेरा ही नाम आता क्यूं है,

तु कितना भी मुझसे सख्त ताल्लुक रख ले,
जिक्र फिर भी तेरा मेरी जबान पे आता क्यूं है,

यूं तो हैं कई फासलें तेरे मेरे बीच,
लगता फिर भी तु मुझको मेरी जान सा क्यूं है,

तेरी यादों में तड़पने की हो चुकी है आदत मेरी,
तेरे दूर होने का फिर भी अहसास मुझको रुलाता क्यूं है,

ये जानता हूं कि तु बहुत दूर है मुझसे,
मगर फिर भी एक आस तुझे पाने की इस दिल में क्यूं है।

4 comments:

Unknown said...

इश्क में बहुत चोट खाए लगते हो
क्यूँ तुम भी रात-2 भर जागते हो..."राज"

Unknown said...

sorry but ..i m adding ur blog on my list...bura lage to kah dena

दर्दे दिल said...

दोस्त अब कुछ भी बुरा नहीं लगता.

amit said...

kya baat he yaar. lagta he uss se bahot pyaar karte ho. phir bhi woh tumhe nahi mili, ye hi to pyaar karne walon ki taqdeer he....

pyar jo karta he usse dard sahne padte he, kabhi ansu to kabhi tanha lamhe milte he. phir bhi ye sisila chalta rehta he kyonki ............. koi nahi janta (sorry) i feel sad for u