मैं साहिल पे लिखी हुई इबारत नहीं,
जो लहरों से मिट जाती है,
मैं बारिश की बरसती बूंद नहीं,
जो बरस कर थम जाती है,
मैं ख्वाब नहीं,
जिसे देखा और भुला दिया,
मैं शमा नहीं,
जिसे फूंका और बूझा दिया,
मैं हवा का झोका नहीं,
जो आया और गुजर गया,
मैं चांद भी नहीं,
जो रात के बाद ढल जाये,
मैं तो वो अहसास हूं,
जो तुझ में लहू बनकर गरदीश करे,
मैं तो वो रंग हूं,
जो तेरे दिल पे चढ़े तो कभी ना मिटे,
मैं वो गीत हूं,
जो तेरे लबों से जुदा ना होगा,
मैं तो वो परवाना हूं,
जो जलता रहेगा मगर फना ना होगा,
ख्वाब, इबारत, हवा की तरह,
चांद, बूंद, शमा की तरह,
मेरे मिटने का सवाल नहीं,
क्यूंकि मैं तो मोहब्बत हूं,
और मोहब्बत कोई सवाल नहीं...!
जो लहरों से मिट जाती है,
मैं बारिश की बरसती बूंद नहीं,
जो बरस कर थम जाती है,
मैं ख्वाब नहीं,
जिसे देखा और भुला दिया,
मैं शमा नहीं,
जिसे फूंका और बूझा दिया,
मैं हवा का झोका नहीं,
जो आया और गुजर गया,
मैं चांद भी नहीं,
जो रात के बाद ढल जाये,
मैं तो वो अहसास हूं,
जो तुझ में लहू बनकर गरदीश करे,
मैं तो वो रंग हूं,
जो तेरे दिल पे चढ़े तो कभी ना मिटे,
मैं वो गीत हूं,
जो तेरे लबों से जुदा ना होगा,
मैं तो वो परवाना हूं,
जो जलता रहेगा मगर फना ना होगा,
ख्वाब, इबारत, हवा की तरह,
चांद, बूंद, शमा की तरह,
मेरे मिटने का सवाल नहीं,
क्यूंकि मैं तो मोहब्बत हूं,
और मोहब्बत कोई सवाल नहीं...!