Monday, March 2, 2009

"ख्वाबों का एक..."


ख्वाबों का एक जजीरा हो,
जूगनुओं का जहां बसेरा हो,


कोई वहां तक ना जा सके,
आना-जाना सिर्फ तेरा-मेरा हो,


जुल्फों से तेरी मैं खेला करूं,
तेरी पलकों का मुझ पर पहरा हो,


चांद-सितारें देखा करें,
उस नगरी जब भी हमारा फेरा हो,


ना खत्म होने वाली हो बातें,
ऐसी रात का ना कभी सवेरा हो।


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