Wednesday, March 4, 2009

"तुम याद आए..."


जब पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आए,
जब सावन रूत की पवन चली तुम याद आए,


जब पंछी बोले घर के सूने आंगन में तुम याद आए,
जब अमृत की एक बूंद पड़ी तुम याद आए,


रूत आई पीले फूलों की तुम याद आए,
दिनभर दुनिया के झमेलों में खोया रहा मैं,


जब शाम को दिवारों से धूप ढ़ली तब तुम याद आए....

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