Wednesday, March 18, 2009

"कहीं से आ जाओ"


अजब शाम खड़ी है कहीं से आ जाओ,
बड़ी उदास घड़ी है कहीं से आ जाओ,

किसी से मिलना और मिल के बिछड़ जाना,
सजा ये इतनी बड़ी है कहीं से आ जाओ,

बड़ा कठिन है ये जुदाई का मौसम,
जुदाई बोल पड़ी है कहीं से आ जाओ,

जमाना जिसे समझता है मोतियों की चमक,
वो आंसू की लड़ी है कहीं से आ जाओ...

1 comment:

वीनस केसरी said...

दिल खुश हो गया

किसी से मिलना और मिल के बिछड़ जाना,
सजा ये इतनी बड़ी है कहीं से आ जाओ,

ये शेर ख़ास पसंद आया
वीनस केसरी