Wednesday, January 21, 2009

"मुझे अपने प्यार की पनाहों में रखना"


एक हंसीन ख्वाब बना कर तुम
मुझे हर पल अपनी निगाहों में रखना
छू ना सके मुझे ये हवाऐं बहकी सी
मुझे कैद अपनी पनाहों में रखना
मैं खाक हूं बिखर ना जाऊं कहीं
मुझे समेट कर अपनी बाहों में रखना
जो करो तुम मोहब्बत हदों से गुजर कर
मेरा नाम तुम अपनी खताओं में रखना
मैं करता हूं अहसास तुम्हारा
तुम भी मुझे याद अपनी दुआओं में करना
कभी जुदा ना करे गर्दिशे जमाना
मुझे अपने प्यार की पनाहों में रखना


2 comments:

"अर्श" said...

मैं खाक हूं बिखर ना जाऊं कहीं
मुझे समेट कर अपनी बाहों में रखना

bahot hi umda baat kahi hai aapne. bahot badhai aapko...


arsh

Surendra Rajput said...

bahut hi accha likha aapne........