Wednesday, December 3, 2008

''पहला पोस्ट मेरे प्यार के नाम''

हाय डियर,

बहुत दिनों से मेरे दिल में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे कि पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि तुम कुछ ही पलों में मुझसे इतनी दूर हो गई कि मुझे लग रहा है कि अब चाह कर भी तुमको पा नहीं सकता। ऐसी मेरे प्यार में कहां कमी रह गई की तुमको अपना पूरा प्यार जता नहीं सका। तुमको पता है कि जिस दिन से हम दोनों के बीच में बातचीत बंद हुई है और जुदाई की खाई इतनी चौड़ी हो गई है कि मैं लाख कोशिश करके भी उसे पार नहीं कर सकता। वो इस कारण नहीं कि वो खाई ज्यादा गहरी है, इस खाई को तो मैं शायद पार भी कर लेता परन्तु तुम्हारा विश्वास ही मुझ पर से उठ गया जो कि मेरी सबसे बड़ी ताकत थी। तुम अगर मुझ पर विश्वास रखती तो मैं इस सारे जमाने से भी लड़ सकता था। 'जान' मैंने तुमको सच्चे दिल से प्यार किया था कभी भी तुमको धोखा देने या झुठ बोलने की कोशिश नहीं की ऐसा मुझसे कभी हुआ ही नहीं। मुझे तुम पर हमेशा विश्वास रहा। पर तुमने ही मुझ पर से विश्वास उठा लिया। आज ही तुमसे फोन पर बात हुई, तुमको पता है मैं हमेशा तुम्हारे फोन का wait बेसर्बी से करता रहता हूं। आज तुमसे अपने एक सवाल का जवाब मांगा है। जो तुम मुझको सोमवार को बताआगी-

कि आखिर तुमने मेरा साथ क्यों छोड दिया?
क्यों हमारी शादी नहीं हो सकती?

और शायद मुझे तुम्हारा जवाब पता भी है। लेकिन मैं फिर भी तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं। और जैसा कि मैंने तुमको फोन पर भी बोला कि हम फ्रेण्डस थे, हैं और हमेशा रहेंगे। तुम मुझ पर हमेशा विश्वास रखना। मैंने तुमसे हमेशा प्यार किया है, करता हूं और जब तक जिंदा हूं करता रहूंगा। मैं तुम्हारा इंतजार मरते दम तक करूंगा, क्योंकि तुम्हारे अलावा इस दिल में अब और कोई नहीं आ सकता।

अंत में यही की 'जान' मुझे इस प्यार से दो ही चीजे मिली

- आंसू और
- दिल का दर्द...

जो मैं यहां बयां करता रहूंगा।

तुम्हारा प्यार

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