आज फिर से 10:15 पर उसका फोन आया। आज मैं घर पर ही थोड़ा लेट हो गया था। इसलिए जल्दी-जल्दी घर से निकला ताकि उसका फोन आने से पहले बाहर आ जाऊ। जब उसका फोन आया तो मैं बस में था। आज ट्रेफिक भी बहुत था। और बस में भी बहुत भीड़ थी। फोन बजते ही मेरी दिल की धकड़कने तेज हो जाती हैं। आज उसका फोन आने में 10 मिनट की देर हो गई और इतने में ही मेरे दिल में पता नहीं क्या-क्या विचार आने लगे। खैर मैंने फोन पिक किया उसने हाय कहा, मैंने भी उसको हाय कहा। फिर उसने पूछा कैसे हो। मैंने कहा ठीक ही हूं। तुम कैसी हो। उसने कहा मैं भी ठीक हूं। मैंने उसको बोला की मुझे तो लग रहा था कि आज तुम फोन नहीं करोगी। फिर उसने कहा तुमको ऐसा क्यों लगता है। मैंने कहा मुझे नहीं पता जब भी तुम फोन रखकर जाती हो तो मुझे लगता है कि आज ये तुम्हारा आखरी फोन है। फिर उसने पूछा कि कल तुमने पूरा दिन क्या किया। मैंने उसको बोला कि तुम्हारा फोन रखते ही नेट पर जाकर अपनी सारी बातें जो हमने फोन पर की थी। ब्लॉग पर चढ़ा दी। मेरे पास तो तुम्हारे बारे में सोचने के सिवा और कोई काम ही नहीं होता है। फिर मैंने पूछा कि तुमने क्या किया कल पूरे दिन। उसने कहा मैंने कुछ नहीं किया सिर्फ क्लास के बाद घर चली गई और मॉडल के ड्राईंग स्कैच बनाने की प्रैक्टिस की।
पता नहीं उसका फोन आने से पहले मैं सोचता हूं कि आज उससे बहुत सारी बातें करूंगा पर उसका फोन आने के बाद मैं कुछ बोल ही नहीं पाता और हमारा ज्यादा टाईम तो लड़ने में ही निकल जाता है। उसे हमेशा यही लगता है कि मैं उससे लड़ रहा हूं। पर मैं उससे लड़ना नहीं चाहता। सिर्फ मन में गुस्सा आ जाता है। जब भी वो कुछ गलत बोल देती है। मुझे उसकी सबसे बुरी बात यही लगती है कि वो कभी भी अपने फैसले खुद नहीं ले पाती है। हमेशा जो मम्मी-पापा ने बोल दिया वही पत्थर की लकीर है। उन्होंने बोल दिया कि ये कपड़े पहनने हैं, ये खाना, खाना है ये कोर्स करना है तो वो ही कर लिया। जबकि उसका खुद का फैशन डिजाईनिंग का कोर्स कम्पलिट हो चुका है। और उसका खुद का इन्ट्रेस्ट भी डिजाईनर बनने का है पर वो नहीं करना अब मम्मी ने बोल दिया कि तुमको B.Ed करना चाहिए तो अब वो करना है। कुछ दिन पहले नानी आई तो नानी ने बोला कि तुम मेरे साथ चण्डीगढ़ चलो मैं तुमको बटाटा बढ़ा, कचौड़ी-पकौड़ी और खाना बनाना सिखाऊंगी और तुम्हारे लिए वहीं कोई जॉब ढूंढ लूंगी तो मैडम उसके लिए भी तैयार हो गई। यही सब बातें हैं जो मुझे गुस्सा लाने पर मजबूर करती हैं। मैंने उसको यही बोला की जब तक तुम अपने फैसले खुद नहीं लेने सिखोगी तब तक कुछ नहीं हो सकता। अब पता नहीं उसे मेरी कितनी बात समझ आई या नहीं आई। पर मैं उसे हमेशा खुश देखना चाहता हूं। कामयाब देखना चाहता हूं। पर वो मेरे बारे में क्या सोचती है मुझे अभी भी नहीं पता।
खैर मैं चाहता हूं कि मेरे मरने से पहले वो मेरे प्यार को समझ ले। उसको इस बात का अहसास हो जाए कि कोई था जिसने तुमको इतना प्यार किया। जिसके लिए इस दुनिया में तुमसे ज्यादा और कोई मायने नहीं रखता। जिसका दिल सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़कता है। जिसकी सांसो में सिर्फ तुम्हारा नाम है। तुम ही मेरी मंजिल हो। तुम ही मेरा प्यार। आई लव यू 'जान'।
Friday, December 5, 2008
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