हमारी तो मजबूरी ये है कि हम दिल से मजबूर हैं कमब्ख्त ये ईश्क जो कर लिया है। किसी ने सच ही कहा कि ईश्क आग का दरिया है, और तैर के जाना है। पर हमारी तो मजबूरी ये है कि हमें तैरना ही नहीं आता इसलिए शायद इस आग के दरिया में हमको तो सिर्फ ढूबते जाना है। क्योंकि अगर तैरना आ भी गया तो ये ही नहीं पता कि जाना कहा हैं। कौन है जो हमारा इंतजार कर रहा है। कौन है जो वहां पहुचने पर हमें अपने गले से लगाएगा। कौन है जो ये पूछेगा कि 'जान' तुम ठीक तो हो ना, कहीं कोई दर्द तो नहीं है, लाओ मैं अपने हाथों से उस पर दवा लगा दूं। कौन है जो ये कहे कि 'जान' कितनी देर लगा दी मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी।
आज 10.17 पर उसका फोन आया। मैंने कहा 'हाय' पर शायद उसे सुनाई नहीं दिया। मैंने फिर से 'हाय' कहा। उसने भी 'हाय' कहा। फिर मैंने 'आई लव यू' कहा। उसने भी 'आई लव यू' कहा। मैंने उससे पूछा तुम कैसी हो? उसने कहा मैं ठीक हूं तुम कैसे हो? मैंने कहा वैसा ही हूं। फिर उसने मुझसे पूछा कि 'क्रिसमस' कैसे मनाया। मैंने कहा पूरे दिन तुम्हारे मैसेज का वेट करता रहा। उसने कहा मैसेज का। फिर मैंने कहा तुमने कैसे मनाया। उसने कहा हां हमने तो.... ''पापा ने होटल में एक पार्टी रखी थी।'' बस पूरा दिन वहीं निकल गया। फिर मैंने कहा चलो इंज्योय किया ना। उसने कहा नहीं मजा नहीं आया मैंने पूछा क्यों? उसने कहा तुम जो नहीं थे वहां पर। उसने कहा मैं यही सोच रही थी कि काश तुम भी वहां पर होते तो कितना अच्छा होता। मैंने उससे कल कुछ पूछने के लिए कहा था वो मैं यहां लिखना नहीं चाहता। तो मैंने उससे उसका जवाब मांगा। उसने हमेशा की तरह इस बार भी मुझे मायूस किया। और कुछ बातें छुपाने की कोशिश की जो कि मुझे पता थी। जब मैंने उससे वो बात बताई तो उसने कहा हां मैं तुमको बताने ही वाली थी। पर बातें करते-करते ध्यान नहीं रहा। और मैं तो तुम्हारी पोस्ट सुन रही थी। जो तुम मुझे पढ़कर सुना रहे थे।
मैंने उससे कहा 'जान' मैं तुमको शुरू से ही हिंट दे रहा हूं पर तुम हो की तुमने मुझे वो बात नहीं बताई। अब मेरे कहने के बाद बता रही हो। ये बात तुम मुझे पहले भी तो बता सकती थी। इसका मतलब मैं समझ गया कि तुमको मुझपर ट्रस्ट नहीं है। तो 'ओके' फाइन मैं अब तुमसे कभी कुछ नहीं पुछूंगा। अब तुम जो करना चाहती हो करो मैं तुम्हारे किसी मैटर में कोई इंटरफेयर नहीं करूंगा। तुमने आज मुझे अपनी लाईफ में मेरी क्या जगह है वो बता दी। अब मैं तुमसे कभी कुछ नहीं पुछूंगा। और न ही कुछ लिखूंगा। लिखता इसलिए था कि जी सकूं। अगर नहीं लिखता तो शायद अब तक मर गया होता। लिखने से मन को सुकून मिलता था। बेचैनी कम हो जाती थी। लेकिन अब मुझे पता चल गया है कि जिसके लिए लिखता था। उसे मेरी कोई परवाह नहीं है। तो इसलिए अब लिखना भी बंद कर दूंगा। उसने कहा प्लीज तुम मुझे गलत मत समझों मैं तुमको सब कुछ बताना चाहती थी पर मौका नहीं मिला। और मैं अभी भी तुमसे प्यार करती हूं। और तुमको मेरी कसम है तुम लिखना बंद नहीं करोगे। और मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कल भी था और आज भी है और हमेशा रहेगा। और मुझे पता है कि अभी तुम गुस्से में हो इसलिए ये सब कह रहे हो। तुम गुस्सा मत किया करो। और तुम जैसे हो वैसे ही रहो। प्लीज बदलने की कोशिश मत करो। अगर बदलना ही चाहते हो तो अपना गुस्सा करना बंद कर दो। मुझे उससे डर लगता है।
मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि जो वो बोल रही है वो सच है कि जो मैं महसूस कर रहा हूं वो सच है। उस पर किस तरह से विश्वास करूं ये समझ नहीं आ रहा है। अब सिर्फ भगवान पर ही भरोसा है कि वो मुझे सही रास्ता दिखाएं। मैं तो यही चाहता हूं कि जो मैं सोच रहा हूं वो गलत ही हो। और मेरी नजरों में वो कभी भी झूठी ना बने। आप सबसे भी यही अनुरोध है कि आप भी मुझे कोई सलाह दें क्या वो सही कह रही है। क्या वाकई में उसकी भी कोई मजबूरी हो सकती है। जो शायद मैं नहीं देख पा रहा हूं। क्योंकि हर तरफ से हार मेरी ही है। क्योंकि अगर वो सच कह रही है और मैं उस पर विश्वास नहीं करता हूं तो भी। और अगर जो मैं महसूस कर रहा हूं। उसमें भी हार मेरी है।
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