Wednesday, December 10, 2008

"मेरी बेचैनी"

आज भी उसका फोन नहीं आया। दिल बहुत बेचैन है। अपने आप को सम्भालने की बहुत कोशिश कर रहा हूं। कभी किसी से बात करता हूं कभी किसी से ताकि अपने को बिजी रखूं और उसकी याद न आए पर फिर भी पता नहीं क्यों बार-बार ध्यान उसी की तरफ चला जाता है। और उसका चेहरा मेरी आंखों में समा जाता है और बेचैनी फिर से उतनी ही बढ़ जाती है। बार-बार फोन को जेब से निकाल कर देखता हूं कि कहीं वो बंद तो नहीं हो गया और ठीक से चल तो रहा है। डर लगता है कि पता नहीं अब दुबारा उसका फोन आयेगा भी या नहीं। कहीं वो उसका लास्ट फोन तो नहीं था। 'जान' प्लीज मुझे फोन करो। मैं तुमको बहुत मिस कर रहा हूं। कहीं तुम नाराज तो नहीं हो गई मुझसे उस दिन तुमसे थोडा Rudly बात की थी इस कारण। बट 'जान' मेरी तुमको नाराज करने की कोई इंटेंशन नहीं थी। 'आई लव यू' 'जान', 'आई लव यू', और 'मिस यू'

2 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

ओह माई गाड इतना सच्‍चा प्‍यार अब तो मान जाना चाहिए आपको भाई को फोन कर लो जहां प्‍यार होता है वहीं पर थोडा कभी कभार ऐसा कुछ होता रहता है जल्‍द ही फोन करो

दर्दे दिल said...

मोहनजी मेरा दर्द समझने के लिए आपका धन्यवाद, आप भी दुआ करे की वो जल्दी मान जाए और मुझे जल्दी फ़ोन करे